बापू तुम्हें

बापू तुम्हें कहूं मैं बाबा या फिर बोलूं नाना 
 
-ज़ाकिर अली 'रजनीश'  
 
 बापू तुम्हें कहूं मैं बाबा, या फिर बोलूं नाना?
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।

छड़ी हाथ में लेकरके तुम, सदा साथ क्यों चलते?
दांत आपके कहां गये, क्यों धोती एक पहनते?
हमें बताओ आखिर कैसे, तुम खाते थे खाना?

टीचर कहते हैं तुमने भारत आज़ाद कराया।
एक छड़ी से तुमने था दुश्मन मार भगाया।
कैसे ये हो गया अजूबा मुझे जरा समझाना।

भोला–भाला सा मैं बालक, अक्ल मेरी है थोड़ी।
कह देता हूं बात वही जो, आती याद निगोड़ी।
लग जाए गर बात बुरी तो रूठ नहीं तुम जाना।



(गीत कंपोज़िशन-अफ़ेक्शन म्यूज़िक रिकॉर्ड्स इंडिया, मुम्बई)