अब्बक–डब्बक टम्मक–टूं

 
अब्बक–डब्बक टम्मक–टूं नाचे गुड़िया रानी। 
 
-ज़ाकिर अली 'रजनीश'
 
अब्बक–डब्बक टम्मक–टूं नाचे गुड़िया रानी।
आसमान में छेद हो गया, बरसे झम–झम पानी।
आओ लल्लू, आओ पल्लू, सुन लो नई कहानी।।

थोड़ा सा हम शोर मचाएं, थोड़ा हल्ला–गुल्ला।
हम चाहे तो लड्डू खाएं, हम चाहे रसगुल्ला।
लेकिन ध्यान रहे न ज़्यादा, हो जाए शैतानी।
आओ लल्लू, आओ पल्लू, सुन लो नई कहानी।।

हम चाहें तो चंदा पर जाकर झंडा फहराएं।
हम चाहें तो शेरों के भी दांतों को गिन आएं।
हुई बात पूरी वो, जो है मन में हमने ठानी।
आओ लल्लू, आओ पल्लू, सुन लो नई कहानी।।

परी कहां अब दुनिया में हैं कम्प्यूटर की बातें।
दिन बीतें धरती पर अपने, और चंदा पर रातें।
हम राजा, हम रानी, अपनी चले यहां मनमानी।
आओ लल्लू, आओ पल्लू, सुन लो नई कहानी।।




(गीत कंपोज़िशन-अफ़ेक्शन म्यूज़िक रिकॉर्ड्स इंडिया, मुम्बई)